Even Today We Indians Refuse To Change

 रॉबर्ट क्लाइव द्वारा लिखी गयी बात

"हिंदुस्तान को गुलाम बनाने के लिए जब हमने पहला युद्ध किया और जीतने के बाद मार्च पास्ट किया तब वहां के लोग तालियां बजा रहे थे।अपने ही देश के राजा के हारने पर वे खुशी से हमारा स्वागत कर रहे थे।

अंग्रेज़ आगे लिखता  है ...

अगर वहां मौजूद सब हिंदुस्तानी मिलकर उसी समय हम लोगों को सिर्फ एक एक पत्थर उठा कर ही मार देते तो, हिंदुस्तान सन 1700 में ही आज़ाद हो जाता ,उस समय हम सिर्फ 3000 ही थे...."


क्या हम सुधरे ? आज भी वही हाल है ।

जाती वाद स्व परिवार स्व हित धर्म आडंबर चल रहा।

गौरे चले गए अब भूरे आ गए।व्यवस्था वही।

झूठ जुमले धोखा पाखण्ड लूट।

वोट देकर जनता के हाथ मे कुछ नही।

वही आलीशान  जिंदगी शासक बने भ्रस्ट धोखेबाज पाखंडी नेताओं की

आज भी तालियां बजा रहे हम खुश हो रहे।

क्या हम हिन्दू कभी सुधरेंगे?

घटिया से घटिया निकम्मा  अपराधी निम्न स्तर के लोगों को ही हम चुनते है, थोड़े निजी स्वार्थ के लिए।

कभी सोचेंगे की चंद हज़ार लोग आकर 700 साल से गुलाम कैसे बना गए जो आज भी हैं हम

चहरे बदले हैं व्यवस्था तो उल्टी ज्यादा खराब हुई है।


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