कृषि रिफॉर्म कानून की कोई जरूरत नही थी

पहले से ही सब कुछ हो रहा था कृषि क्षेत्र में।

जुमले बाजी रिफॉर्म नही।

इसमे पहले एक्ट में कॉरपोरेट को घुसाने और मंडी निजीकरण की तैयारी है।

दूसरा बेमतलब कचरा है।

तीसरा शैतानी है ।इसमे न सिर्फ जमाखोरी का प्रस्ताव है, fci को बंद करने की भूमिका है लेकिन सबसे खतरनाक असीमित भंडारण की इजाजत है।

मानलो आज गेंहू 14 रु किलो है।तो अगले एक साल में यदि 28 रु से ऊपर नही होगा तब तक सरकार दखल नही देगी।

मतलब 26 पर लाकर व्यापारी रोक दे तो कुछ नही।फिर अगले साल 26 से 50।

समझ मे आ गया होगा।विश्व मे किसी देश मे ऐसा कानून नही है ।

कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग हम वर्धमान में करवा रहे 25 साल से कॉटन की।

नेस्ले मोगा में दूध की अमूल गुजरात में 60 साल से ,मेल्डोनाल्डस 20 साल से महाराष्ट्र में।आईटीसी पतंजलि भी सालों से कर रहे।

अनुबंध करना और जमीन हड़पना अलग चीज।

ये है मकसद।

अडानी अम्बानी की 31 कम्पनीज तैयार हैं शुरू हो चुका।जियो मार्ट भी एक।एमेजन के अलावा सब होगा खत्म।

जो अंधभक्त हैं यूएसए में छोटे दुकानदार का हाल देखें जाकर ।वहां छोटा किसान नही बचा।दूध का ग्राहक नही।

एग्रिकल्टर प्लानिंग जैसी कोई प्रभावी संस्था ही नही।

कृषि तो राज्य का विषय है

इसमें केंद्रीय बाबू क्यों घुसाए ?

यूएसए में बिल गेट्स ने मारी 3 लाख एकड़ जमीन।ऐसे 25 टॉप बनिये।

3 एकड़ वाला किसान अंतर राज्य बेचेगा?

70% किसान की जमीन हड़पी जाएगी और वो अपनी जमीन में बनेगा मजदूर।

कीमतें 3 गुना होना तय है।

कोई भ्रस्ट,  मूर्ख या अंध भक्त ही इसपर आंख मूँदेगा।

मजे की बात है जो रिफॉर्म चाहिए वो एक भी नही इनमें

इनकू मैं बोलूंगा बनिया घुसाउ रिफॉर्म 

छोटे वाले नही कॉरपोरेट।

अजीब टीवी का नशा है ।

अर्बन मिडल क्लास 30 करोड़ ही मरेंगे किसान के साथ साथ

आत्म मुग्ध भारत चल रहा है ।😛😛

सबसे खतरनाक कोई क़्वालिटी चेक व्यवस्था नही

कोर्ट में केस नही कर सकता किसान।

अभी एक खतरनाक कानुन और आएगा।जिसमे 5 एकड़ से नीचे खेत इकठ्ठा करने होंगे या बेचने होंगे।

यही है खतरनाक छुपा हथियार जो मोदी सरकार बोलती है उल्टा करती है।


सही न्यूट्रल तथ्य जानने हो तो पढ़े

Seedhisibaat.blogspot.com

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