Petrol price in india is sheer loot
Petrol price in india is sheer loot
पेट्रोल एक मुख्य ऊर्जा शोत्र है ।इसके साथ डीजल फर्नेस ओइल और गेस।
कोयला लकड़ी और प्राकृतिक ऊर्जा जिसका एक ही सोर्स है सूर्य।लकड़ी भी सीधा सूर्य की ही देन है।ऐसे ही वायु शक्ति या जल स्रोत।
जब हम एक पेड़ काटते है तो औसत 15 वर्ष खो देते हैं ।यानी एक पेड़ काटने पर 15 लगाना जरूरी है।ये लगातार असंभव है।
इसके अलावा आण्विक ऊर्जा और रसायन ऊर्जा जैसे बैटरी और हाइड्रोजन गेस भी बहुत बडी है और बहुत कम इस्तेमाल होती है।
पेट्रोल एक आसान इस्तेमाल हो सकने वाला ईंधन है। इसलिए ये डीजल गेस से ज्यादा पॉप्युलर हैं।
लेकिन इनकी स्टॉक सीमित है पृथ्वी में।इनका अभी बनना ना मुमकिन है।
कच्चा तेल जमीन से निकलने की कीमत 10 से 30$ के बीच रहती है। कुछ अरब देश मे 10$ पर बेरेल(159 litre)
लेकिन अय्याश भ्रस्ट देश जैसे अमरीका इंग्लैंड मिलकर इसकी लूट करते हैं।दाम 30 से 140 $ तक बदले हैं।ये पैसा इन्ही देशों में खपता है।
इसकी खपत की वृद्धि दर अब धीरे हो रही है।
भारत के पास अपने स्टॉक 20 % भी नही।आयात ही होता है।
एक तरफ बेतहासा कार मोटर साइकिल बना रहे हैं, पब्लिक सुविधा घिसीपिटी है दूसरी तरफ रेट बढ़ाते है।ये बेईमानी नही तो क्या है।
60$ में भी अगर 160 लीटर कच्चा तेल मिलता है।72 रु का डॉलर है। यानी 4320 रु बैरल(160 लीटर)
पेट्रोल और डीजल की फैक्ट्री से साफ करके निकला , निकास रेट 34 रु से ज्यादा नही होगी।
बाकी डीलर कमीशन ट्रांस्पोर्ट मिला ले तो 40 रु पेट्रोल पंप पर।
अब हो क्या रहा है ? केंद्रीय सरकार 33 रु टेक्र्स खाती है फिर राज्य सरकारें 18 से 30 रु ।एम पी ( भाजपा शासित) सबसे ज्यादा लूट रहा।
ये पैसा कहां जा रहा है? कड़वी सच्चाई है -भ्रस्टाचार और मंत्री और बाबुओं की अय्याशी में।साल का 15 लाख करोड़ ये सभी राज्य केंद्र मिलकर टेक्र्स के नाम पर लूट रहे फ्यूल पर।यूं कहो 120% टेक्स , के अलावा मजे की है बात शुद्धिकरण की कमाई भी सरकार को ही जा रही।क्योंकि ये सरकारी ही हैं।
इस कीमत का कोई मतलब और ओचित्य नही।
तुरन्त पेट्रोल और डीजल 56 रु किया जा सकता है।
आज भी विदेशी सरकार और लुटेरे ही मानों राज कर रहे।वही ढांचा चल रहा।8000 करोड़ का उड़ता 5 सितारा होटल लेकर घूमता मोदी।सैकड़ों करोड़ महीने के उड़ाता।चुनाव का काम खर्चा सरकारी -क्यों?
इससे भयंकर महंगाई हो रही है। सरकार और बनिया मिलकर लूट रहे , देश।2014 से।
बजट का 30% और जीडीपी का 1/3 ही सिर्फ 70 करोड़ जनता के हाथ पहुंचता है।इसीलिए ये हालात हैं।लाखो करोड़ विदेशों में जा रहा।
कोई मतलब नही की पेट्रोल डीजल 56 से ऊपर बिके। इसका कोई कारण नही।सिर्फ लूट नंगापन और फिजूल खर्ची।
मांग घटाने के और कई तरीके है:
पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाओ। दुसरे शोत्रों को जल्दी विकसित करो।लोगों को साइकल आदि इस्तेमाल करने को प्रेरित करो।आबादी बढ़ने को फुल स्टॉप लगाओ। भ्रस्टाचार और अय्याशी पर नियंत्रण हो।
पाकिस्तान में 48 रु और नेपाल, । श्रीलंका में 52 रु है रेट।
वहां क्या विकास नही ।वहां गरीब नही।
100 रु रेट सिर्फ और सिर्फ नंगा नाच और लूट मार है।
लाखों करोड़ रु चोर बिचौलिए गुंडे दलाल बाबू और नेता बनिया खा रहे हैं।
मनरेगा का आधा पैसा फर्जी उठ रहा है।बैंक लोन सफाचट।फालतू की सैकड़ों स्कीम चला रही है ये भ्रस्ट टीवी वाली सरकार।
कोई बदलाव नही 7 साल में।बल्कि सब उल्टा हो रहा।
राम नाम की लूट है।नफरत का व्यापार। भ्रस्ट पुलिस विभाग इनके साथ मिलकर लूटमार करवा रहे।आवाज दबा रहे।
अब 1 बेरेल क्रूड से क्या क्या निकलता है ?
42 गैलन या 159 लीटर कच्चा तेल
देखें:
Production in gallons | |
---|---|
Gasoline | 19.5 |
Diesel/home heating oil | 9.2 |
Kerosene-type jet fuel | 4.1 |
Heavy, residual fuel oils | 2.3 |
Still gas | 1.9 |
Coke | 1.9 |
Liquefied refinery gases | 1.9क |
Asphalt and road oil | 1.3 |
Petrochemical feedstocks | 1.2 |
Lubricants | 0.5 |
Kerosene | 0.2 |
Other | 0.2 |
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