Performance of Indian industry businesses

मनीष सिंह  की जबरदस्त पोस्ट दिमाग की बत्ती जला देगी

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क्या भारतीय उद्योगपतियों पर हमें गर्व होना चाहिए??

सवाल करते हैं लोग, कि भारत के उद्यमी आगे बढ़ रहे हैं, तो शोर क्यो?? टाटा ने एयरइंडिया खरीद ली, बुरा क्या है?? गर्व करो, शर्म की नकारात्मकता क्यो?? 


एक बड़ा लांछन प्रिय नेहरू पर है, की अगर उन्होंने टाटा की एयरलाइन नेशनलाइज न की होती, तो वो टॉप पर जा चुकी होती। 

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मुझे डाऊट है। गंभीर डाऊट.... टाटा ग्रुप की 120 कम्पनियां थी। मिस्त्री की छन्नी के बाद कोई 80 बची, अब और बढ़ गयी होंगी। कौन सा प्रोडक्ट विश्वस्तरीय है?? 


क्या (जेएलआर हटाकर) टाटा के ट्रक, कारे, मोटर दुनिया पर छाई हुई हैं?? क्या (कोरस हटाकर) टाटा स्टील दुनिया का बेस्ट, लार्जेस्ट स्टील प्रोड्यूसर है? क्या दुनिया टाटा का नमक खाती है, टाटा साबुन से नहाती है? क्या एयर एशिया बेस्ट एयरलाइन है? क्या टाटा के इंडिकॉम बेस्ट टेलीफोनी के प्रोवाइडर रहे???


एक शब्द में उत्तर है- ना। 


कारण भी इसी पैरा में है। ट्रक से नमक तक, लोन से फोन तक, कोयला से मीडिया हर बिजनेस में घुसे हुए ये लोग, किसी चीज के एक्सपर्ट नही। दूसरो का माल कॉपी करने, असेंबल करने, और दो की चीज चार में बेचने वाले डिपार्टमेंटल स्टोर हैं। 

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जियो एक सिमकार्ड तक नही बनाता, चीन से लाता है। पूरी मशीन टेक्निक, सिस्टम चाइनीज है। पेट्रोलियम के बिजनेस से, बड़े बने अम्बानी का बिजनेस समझिये। 


पिछले जमाने मे आप गेंहू लेकर आटा चक्की जाते थे। 20 पैसे किलो में पिसवा लाते थे। ये भाई साब, पेट्रोल की आटा चक्की खोले हैं। 2 रुपये लीटर में धोकर ( शोधन करके) देते हैं। लेकिन दुनिया मे भारत के बाहर, अम्बानी के किसी बिजनेस का नाम बताइये। 


जीरो!!!


उधर छदानी मलेशिया से पाम ऑयल लाकर बेचता है। पोर्ट, एयरपोर्ट को धोने, साफ रखने,उसके बिजली पानी मेंटेनेंस के ठेके लेता है, मनचाहा चार्ज करता है। आप मकान बनाकर भाड़े पे चलाते हैं, ये साइलो बनाकर FCI से भाड़ा वसूलता है। 


ये ठीक है कि बड़े पैमाने पर करता है। पर इसे एंटरप्रेन्योरशिप नही कहते। ये तो मेरी पड़ोस का जनता प्रोविजन स्टोर वाला भी, करता है। 

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पास इससे भी कोई दिक्कत नही। दिक्कत तब है, जब शहर के गुंडे से सेटिंग करके, आप दूसरों की दुकानें तोड़ देते हो, उसका बिजनेस हथियाकर बड़े बन जाते हो। 


ये तो माफ़ियापंथी है यार। घण्टे की एंटरप्रेन्योरशिप?? गर्व करूँ तुम पर ??

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एक जनाब ने चुनौती दी। एयर इंडिया बिक रही है, खरीद ले। फिर न कहना अम्बाडानी को दे दिया। मेरा उत्तर है- स्टेट बैंक को फोन कर, अभी एक लाख करोड़ लोन दिला। पांच हजार करोड़ तुझे दूंगा, 20 हजार करोड़ चुनावी चंदे में। एक हजार करोड़ स्विस बैंक में छुपाउंगा, और 74 हजार करोड़ में एयर इंडिया खरीद लूंगा। 


हांजी, ये एक मजाक है। पर असल डिजाइन भी यही है। देश में मुट्ठी भर लोगो की मोनोपॉली जिस डिजाइन से खड़ी हो रही है, वो एक मजाक है। गर्व करूँ इस पर?? 

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सचाई यह है कि ये इंफेशिएंट, सेटिंगबाज लोग हैं। सरकारी ठेके और संरक्षण न मिले, तो पड़ोस में सस्ते राशन की दुकान चलाने से ज्यादा प्रतिभा नही। (वही बिजनेस, छोटे लेवल पर)


गर्व करूँगा, जिस दिन फोर्ड, वॉल्वो, निसान, शेवरले की तरह दुनिया मे टाटा के वाहन दौड़ें। जापान से रशिया, ऑस्ट्रलिया से अमेरिका तक मेड-इन-अम्बानी टेलीफोन चले। दुनिया के कम्प्यूटरों में विंडोज की जगह टीसीएस या इंफोसिस का ऑपरेटिंग सिस्टम हो। रिलायंस डिफेंस के हवाई जहाज खरीदने को दुनिया के देश लाइन लगाए हों, जैसे हमने रफेल के लिए लगाया। 


तब मेरे दोस्त, जिस कम्पनी पर गर्व करने कहोगे, करूँगा। 


लेकिन जब तक एक छोटा सा कार्टेल, जो बाहर कम्पीट नही कर पाता, देश के भीतर एक एक सेक्टर को, सरकारी मदद से जेब मे भरता रहेगा, जब तक अडानी की ऑस्ट्रेलियन खदान से निकले, अडानी पोर्ट पर खड़े, अडानी शिपिग के जहाज के कोयले को खपाने के लिए खड़े किए गए नकली कोल क्राइसिस से नोटों छापे जायें, मैं तो गर्व नही कर सकता। 


पर तुम करो। और 2024 में सीधे अडानी को वोट करना। 

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गर्व 🔔🔔🔔

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