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Showing posts from January, 2022

Mutation of property Uttar pradesh India

सरकारी वसूली और धंधे का एक शानदार उदाहरण।अंग्रेज़ी शासन जारी है। म्यूटेशन जब आप कोई प्रोपर्टी खरीदतें हैं तो 1 स्टैम्प ड्यूटी देते हैं।परचेज टेक्स देते हैं।दस्तावेज बनाने का खर्च भी कुल 8.5% (उत्तर प्रदेश) 2 फिर आप बिजली विभाग में नाम बदलवाते हैं।फिर फीस 3 आप जल विभाग में नाम बदलवाते हैं।फिर फीस 4 आप म्यूनिसिपल में नाम बदलवाते हैं फिर फीस. 5 आप रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम बदलते हैं फिर 1% फीस और दस्तावेज यानी 4 या 5 जगह धक्के खाते हैं दस्तावेज देते हैं  । और कुल खर्च 10% रजिस्ट्री वेल्यू का महीनों धक्के खाओ। सभी सरकारी विभाग मलाई खाते है। डिजिटल होने के बावजूद इन विभागों के data सिंक्रोनाइज नही किये जा रहे अभी तक। हालांकि आंध्रा कर्नाटक आसाम केरल में ऐसा हो चुका है। फीस भी कम है 0.5% या सिर्फ 0.1% केरल लेंड रिकॉर्ड डिजिटल करने वाला सबसे पहला राज्य बना था।फिर करनाटक। होना ये चाहिए कि 0.5% फीस एक बार तहसीलदार के यहां स्टैम्प ड्यूटी के साथ ही जमा करो। फिर सभी विभागों में एक साथ नाम परिवर्तन हो जाये डिजिटली। असली दस्तावेज सेल डिड है न कि मटुटेशन।सेल डिड भी पूरी तरह प्रूफ नही। क्योंकि म्यूट...

Indian Economy and mismanagement

बहुत खोज बीन करने के और 2 साल तक  चले गम्भीर विचार विमर्श एवं आई आई एम जैसे संस्थानों में सेमिनार कराने के बाद, रतन टाटा जी को वारिश नही मिला था।आखिर सबसे बड़े शेयर होल्डर के दामाद को ही बनाया अध्यक्ष टाटा ग्रुप का। फिर हुआ झगड़ा।निकाला। अब एक प्रोफेसनल उच्च कॉरपोरेट प्रशानिक व्यक्ति को बनाया गया अध्यक्ष। इतने बड़े संस्थान सिर्फ साफ विजन और एक मजबूत कल्चर से ही चल सकते हैं। एक या दो व्यक्ति नही चला सकते। टाटा प्रशानिक सेवा यही काम करती है टाटा ग्रुप के लिए उच्च अधिकारी तैयार करना जिनको ग्रुप की संस्कृति पॉलिसीज और व्यवहार बताया जाता है।ये कुछ कुछ आई ए एस जैसा ही है। मुकेश अम्बानी ने भी पिछले 1 साल काफी रिसर्च करने और ढूंढने के बाद दिव्य ज्ञान प्राप्त किया कि अरे चिराग तले अंधेरा।वारिश और सबसे काबिल तो उनके पुत्र और पुत्री घर मे ही हैं। भारतीय उद्योग घरानों में सिमटा हुआ है जिसको हम पारिवारिक उद्धयोग कहते हैं।इनकी कुछ अच्छाइयां और ज्यादा बुराइयां ही है। ये सभी कम्पनीज पब्लिक के पैसे से चलती हैं जिनमे हमारा पैसा ,सरकार का पैसा, बैंक्स, विदेशी संस्थागत निवेशक इन्स्युरेंस फंड्स आदि का पैस...