Mutation of property Uttar pradesh India

सरकारी वसूली और धंधे का एक शानदार उदाहरण।अंग्रेज़ी शासन जारी है।


म्यूटेशन

जब आप कोई प्रोपर्टी खरीदतें हैं तो

1 स्टैम्प ड्यूटी देते हैं।परचेज टेक्स देते हैं।दस्तावेज बनाने का खर्च भी

कुल 8.5% (उत्तर प्रदेश)


2 फिर आप बिजली विभाग में नाम बदलवाते हैं।फिर फीस

3 आप जल विभाग में नाम बदलवाते हैं।फिर फीस

4 आप म्यूनिसिपल में नाम बदलवाते हैं फिर फीस.

5 आप रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम बदलते हैं फिर 1% फीस और दस्तावेज


यानी 4 या 5 जगह धक्के खाते हैं दस्तावेज देते हैं  ।


और कुल खर्च 10% रजिस्ट्री वेल्यू का

महीनों धक्के खाओ।

सभी सरकारी विभाग मलाई खाते है।

डिजिटल होने के बावजूद

इन विभागों के data सिंक्रोनाइज नही किये जा रहे अभी तक।

हालांकि आंध्रा कर्नाटक आसाम केरल में ऐसा हो चुका है।

फीस भी कम है 0.5% या सिर्फ 0.1%

केरल लेंड रिकॉर्ड डिजिटल करने वाला सबसे पहला राज्य बना था।फिर करनाटक।

होना ये चाहिए कि 0.5% फीस एक बार तहसीलदार के यहां स्टैम्प ड्यूटी के साथ ही जमा करो।

फिर सभी विभागों में एक साथ नाम परिवर्तन हो जाये डिजिटली। असली दस्तावेज सेल डिड है न कि मटुटेशन।सेल डिड भी पूरी तरह प्रूफ नही।

क्योंकि म्यूटेशन का मकसद सिर्फ टेक्स रिकॉर्ड से है।स्वामित्व से नही।


ठीक इसी आशय की एप्पलीकेशन उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को भेजी गई है ,जो अब चुनाव के बाद ही ली जाएगी। 

लेंड  केस में म्यूटेशन रजिस्ट्री   प्रोसेस का हिस्सा ही होता है। खास कर जहां पटवारी रिकॉर्ड रखते है जमीन का।

खाता/खतौली तरीके से।


दूसरा , इन्हेरीटेन्स मेटर में भी कोर्ट से सक्सेशन सर्टिफिकेट मिलता है।

डिवीजन सूट्स में पहले ही यूपी सरकार फीस 3000 रू कर चुकी है

अब म्यूटेशन की बारी है।

वरना डीजीलाइजेशन का क्या फायदा?

डेवलपमेंट स्कीम्स के प्रोपर्टी की म्यूटेशन का कोई ज्यादा मतलब नही।क्योंकि लेंड डिस्प्यूट हो नही सकता।


सुप्रीम कोर्ट आदेश:

हाइलाइट्स

आपके पास कोई पुश्तैनी जमीन है या मकान है तो यह खबर आपके लिए उपयोगी है

सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी संपत्ति के मालिकाना अधिकार को लेकर एक अहम फैसला दिया है

इसमें कहा गया है कि रेवेन्यू रिकार्ड में दाखिल खारिज हुआ हो या नहीं, इससे उसके मालिकाना हक पर कोई फर्क नहीं पड़ता

जब लोग मकान बेचते हैं तो अपनी लागत के साथ इन्फ्लेशन, इंटरेस्ट केपीटलाइजेशन, रेजिस्ट्रेशन फीज, और अन्य खर्च नही जोड़ते।

जमीन का डेप्रिसिएशन नही होता।सिर्फ बिल्डिंग का।लेकिन उससे कहीं ज्यादा निर्माण कीमत बढ़ने की रेट होती है।

ज्यादतर ब्रीफकेस डीलर्स को इन बातों का नही होता पता।

मकान बेचते वक़्त रिप्लेसमेंट वेल्यू और व्यावसायिक बेचते व्क्त अर्निंग वेल्यू और मार्किट वेल्यू दोनो देखना जरूरी।


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