योग या प्राणायाम रामदेव या किसी बाबे का नही, 2500 साल पुराना है। उस समय कोई धर्म ही नही था इसलिए योग एक जीवन पद्धति है इसको किसी व्यक्ति, धर्म , सम्प्रदाय से जोड़ना मूर्खता है। सभी लोग योगिक जीवन पद्धति सीखें। योगा के नजदीक सिर्फ चीनी शाओलिन पद्धति पहुंचती है।लेकिन उसका मकसद आत्म रक्षा है , परोपकार नही। झूठ पाखण्ड लालच ईर्ष्या अहम और गुस्सा करने वाला व्यक्ति कभी योगी हो ही नही सकता । मानव कल्याण के लिए है हमारे गुरुओं द्वारा विकसित हुआ ये। उत्तराखंड हिमाचल यूपी बिहार केरल में हज़ारों ऋषि मुनि , सही और बेहतर तरीके से सिखाते है योग। योग सिर्फ हाथ पैर मोड़ना ही नही,या पब्लिक में नौटँकी करना नही। इसको खुले स्थान में शांत वातावरण में करना होता है। स्वच्छ हवा का संचार जरूरी है। प्राणायाम और व्यायाम योग का एक छोटा हिस्सा भर है। पाखंडी लोग भगवा वस्त्र पहन कर योग गुरु बन जात्ते हैं। भगवा रंग तो बुद्ध धर्म का है और शिवाजी महाराज का। पूरी जीवन शैली है और विचार ,व्यवहार , व्यवस्था है। शरीर को स्वस्थ बनाने का फायदा तभी है जब ये परोपकार और सद्कर्मों में काम आए । वरना ये जीवन समाज और प्रकृति ...